भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी की स्थापना दिनांक 07-05-2003 को
गोरखपुर के सदर विश्वकर्म मंदिर में हुए। पार्टी नये युग की नई समस्याओं को केन्द्रित
करके, उनका समाधान करने हेतु प्रतिबध्य है। भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी
बहुत पुरानी नहीं है, इस कारण पार्टी का कोई प्राचीन इतिहास नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय जनहित
पार्टी के समस्त ज्ञानी और विज्ञानी लोगों ने एक मत से अपने विचार को प्रकट करते
हुए कहा कि समस्त हिन्दू समाज के लिए सारे हिन्दू समाज को जोड़ कर अगर नही चले, तो हम मिट जाएंगे। इसमें किसी प्रकार का कोई जन्म से किसी के पास विध्वता
ना हो अथवा मूर्खता ना हो, कर्म के आधार पर ही गढ़ना कि जाए। ऐस
भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी के प्रबुद्ध लोगों का कहना था। हिन्दू जन के पर्व
“महाभारत का ये पर्व” तुम बिन कैसे मिलेगा।
भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी के कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य-
- भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी, “जाति तोड़ो, समाज जोड़ो” के नियम का पालन करती है और समस्त हिन्दू समाज को एकजुट एवं संगठित करने का प्रयास करती है।
- भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी, बहुसंख्यक, बहुसंख्यक रहे अल्पसंख्यक, अल्पसंख्यक रहे। इसकी पूरी व्यवस्था होगी ताकि बाद में अल्पसंख्यक बहुसंख्यक और बहुसंख्यक अल्पसंख्यक न हो जाये। इसे ध्यान रखें।
- भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी, बहुसंख्यकों की रक्षा के लिए सदा प्रतिबद्ध है।
- भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी, किसी भी धर्म अथवा मजहब के विवादित किताब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएगी जिनसे आपस में क्लेश, वैमनश्य, दंगे एवं युद्ध होता है।
- भारतीय राष्ट्रीय जनहित पार्टी, का मानना है कि “हिन्दू समाज अर्थ और धन के दास ना बने”। “जब तक तू धर्म के युद्ध में मौन रहेगा, तब तक ये देश मिटेगा” तुझ पर लोग हसेंगे युगों तक तू ऐसी अपकृति जानेगा, स्वर्ग मिलेगी न कृति मिलेगी केवल पाप का भागी बनेगा। आप सभी धर्म के लिए, ना कि अपने प्राण के लिए, तैयार रहो। धर्म के गरिमा कि रक्षा के लिए दूसरों पर प्रहार करने मे आपको कोई पाप नहीं लगेगा। ध्यान रहे आप समस्त हिन्दू जन युद्ध भूमि में खड़े हो ना कोई प्रिय है ना कोई शत्रु, जो धर्म विरुद्ध है, वही सबसे बड़ा शत्रु है।